Discussion in "Chill out!" started by    Ûž TPS Ûž    Feb 8, 2009.
Sun Feb 08 2009, 07:41 pm
#1
3 जी मोबाइल नेटवर्किग

3 जी, यानी थर्ड जेनरेशन मोबाइल नेटवर्किग साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी का कमाल है। वर्तमान समय में हम वायरलेस नेटवर्किग (वाइड एरिया वायरलेस वॉयस टेलीफोनी) की सहायता से सिर्फ कॉल रिसीव करते हैं या एसएमएस, एमएमएस भेज पाते हैं। इसमें नेटवर्किग पावर कैपेसिटी 2.5जी (गिगाबाइट) होता है। वहीं, 3जी का नेटवर्किग पावर कैपेसिटी 3 गिगाबाइट होता है। यही वजह है कि इसकी सहायता से वीडियो, ग्राफिक्स, मूवी, इम्र्पोटेंट डेटाज आदि को मोबाइल फोन से दूसरे मोबाइल फोन पर कुछ ही सेकेंड्स में भेजा जा सकता है।

तेज डेटा रिसीविंग स्पीड

3जी नेटवर्क वाइड एरिया सेल्यूलर टेलीफोन नेटवर्क भी कहलाता है। इसकी डेटा रिसीव करने की स्पीड सामान्य मोबाइल से काफी अधिक, यानी लगभग 40 गुणा होती है। वास्तव में, इसकी डाउनलिंक स्पीड 14.4 एमबिट/ सेकेंड और अपलिंक स्पीड 5.8 एमबिट/सेकेंड होती है। यही वजह है कि अन्य नेटवर्क की अपेक्षा यह नेटवर्किग टेक्नोलॉजी न केवल बहुत ही कम समय में ही इंटरनेट से जुड जाता है, बल्कि वीडियो टेलीफोनी भी इससे आसानी से संभव हो पाता है। यहां तक कि आप इसके माध्यम से लाइव टीवी प्रोग्राम भी देख सकते हैं।

डाउनलिंक और अपलिंक

एक ऐसा लिंक, जिसके माध्यम से पृथ्वी से सैटेलाइट तक संदेश भेजा जाता है, डाउनलिंक कहलाता है। वहीं, एक ऐसा लिंक, जिसमें सैटेलाइट से पृथ्वी तक संदेश भेजा जाता है, अपलिंक कहलाता है। दरअसल, अपलिंकिंग के माध्यम से ही सेल फोन से सेल साइट तक किसी भी संदेश को ट्रांसमिट किया जाता है।

जापान है 3जी का जन्मदाता

सबसे पहले जापान में 3जी नेटवर्किग सिस्टम का इस्तेमाल हुआ था। इस नेटवर्किग सिस्टम को जापान की एनटीटी डोकोमो कंपनी ने बाजार में वर्ष 2001 में उतारा था। जापान से ही 3जी नेटवर्किग यूरोप, यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया आदि तक फैला। अब भारत में भी यह सुविधा उपलब्ध हो चुकी है। हालांकि यह नेटवर्किग सिस्टम महंगा है, इसलिए हो सकता है कि भारत में इसे लोकप्रिय होने में थोडा समय लगे!

सावधानी

दोस्तो, यह सच है कि मोबाइल फोन के जरिए हम दूर बैठे अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से बात कर लेते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि मोबाइल पर अधिक देर तक बातचीत करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकता है। साथ ही, यह आपके समय को भी नष्ट करता है। इसलिए यदि आपके घर में 3जी मोबाइल नेटवर्किग सेवा उपलब्ध है, तो इसका दुरुपयोग न करें।

वर्ष 1973 में अमेरिका में पहला सेलफोन बना।

एसएमएस को शॉर्ट मैसेज सर्विस कहा जाता है।

ब्रिटेन के नील पेपवर्थ ने पहला एसएमएस मेरी क्रिसमस लिखकर अपने मित्र को भेजा था।

वर्तमान में हम अपने मोबाइल के लिए जिस वायरलेस नेटवर्क का प्रयोग करते हैं, वह सेल्यूलर नेटवर्क कहलाता है।

सेल्यूलर नेटवर्क एक रेडियो नेटवर्क है, जो कई रेडियो सेल्स से बना होता है।

प्रत्येक रेडियो सेल्स निश्चित ट्रांसमीटर से जुडे होते हैं। यह सेल साइट या बेस स्टेशन कहलाता है। प्रत्येक 8-10 किलोमीटर पर सेल साइट बने होते हैं।

रेडियो कॅवरेज प्रदान करने के लिए सेल साइट विभिन्न स्थानों को अलग-अलग कवर करते हैं।

सेल्यूलर नेटवर्क ट्रांस-रिसीवर से भी जुडे होते हैं, जिनका काम कॉॅल कलेक्ट और डिस्ट्रीब्यूट दोनों करना होता है।

माइक्रोवेव एंटीना वाले सेल साइट टावर या ऊंचे बिल्डिंग पर स्थित होते हैं।

सेल साइट केबल कम्युनिकेशन नेटवर्क और स्विचिंग सिस्टम से जुडा होता है।

मोबाइल फोन में लो पावर ट्रांस रिसीवर होता है, जो नजदीकी सेलसाइट को वॉयस और डेटा ट्रांसमिट

करता रहता है।

मोबाइल पर ट्रांसमिट किया हुआ डेटा रिसीव होने के साथ ही फोन की घंटी बज उठती है।

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Robertrip
Fri Apr 26 2024, 11:20 am
ArnoldDiant
Fri Apr 26 2024, 03:53 am
RodneyKnorb
Thu Apr 25 2024, 07:08 pm
Williamjef
Thu Apr 25 2024, 02:08 pm
SamuelSmise
Thu Apr 25 2024, 09:56 am
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Thu Apr 25 2024, 08:44 am
ztaletpzca
Wed Apr 24 2024, 11:19 pm
IrardlPex
Wed Apr 24 2024, 08:42 pm