Hindi Short Story
Mon Apr 14 2008, 03:30 pm
दूरदरà¥à¤¶à¥€
à¤à¤• आदमी सोना तोलने के लिठसà¥à¤¨à¤¾à¤° के पास तराजू मांगने आया। सà¥à¤¨à¤¾à¤° ने कहा, ‘‘मियाà¤, अपना रासà¥à¤¤à¤¾ लो। मेरे पास छलनी नहीं है।’’ उसने कहा, ‘‘मजाक न कर, à¤à¤¾à¤ˆ, मà¥à¤à¥‡ तराजू चाहिà¤à¥¤â€™â€™
सà¥à¤¨à¤¾à¤° ने कहा, ‘‘मेरी दà¥à¤•à¤¾à¤¨ में à¤à¤¾à¤¡à¥‚ नहीं हैं।’’ उसने कहा, ‘‘मसखरी को छोड़, मै तराजू मांगने आया हूà¤, वह दे दे और बहरा बन कर ऊटपटांग बातें न कर।’’
सà¥à¤¨à¤¾à¤° ने जवाब दिया, ‘‘हजरत, मैंने तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ बात सà¥à¤¨ ली थी, मैं बहरा नहीं हूà¤à¥¤ तà¥à¤® यह न समà¤à¥‹ कि मैं गोलमाल कर रहा हूà¤à¥¤ तà¥à¤® बूढ़े आदमी सà¥à¤–कर काà¤à¤Ÿà¤¾ हो रहे हो। सारा शरीर काà¤à¤ªà¤¤à¤¾ हैं। तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ सोना à¤à¥€ कà¥à¤› बà¥à¤°à¤¾à¤¦à¤¾ है और कà¥à¤› चूरा है। इसलिठतौलते समय तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ हाथ काà¤à¤ªà¥‡à¤—ा और सोना गिर पड़ेगा तो तà¥à¤® फिर आओगे कि à¤à¤¾à¤ˆ, जरा à¤à¤¾à¤¡à¤¼à¥‚ तो देना ताकि मैं सोना इकटà¥à¤ ा कर लूं और जब बà¥à¤¹à¤¾à¤° कर मिटà¥à¤Ÿà¥€ और सोना इकटà¥à¤ ा कर लोगे तो फिर कहोगे कि मà¥à¤à¥‡ छलनी चाहिà¤, ताकि ख़ाक को छानकर सोना अलग कर सको। हमारी दà¥à¤•à¤¾à¤¨ में छलनी कहां? मैंने पहले ही तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ काम के अनà¥à¤¤à¤¿à¤® परिणाम को देखकर दूरदरà¥à¤¶à¤¿à¤¤à¤¾ से कहा था कि तà¥à¤® कहीं दूसरी जगह से तराजू मांग लो।’’
जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ केवल काम के पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ को देखता है, वह अनà¥à¤§à¤¾ है। जो परिणाम को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में रखे, वह बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ है। जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ आगे होने वाली बात को पहले ही से सोच लेता है, उसे अनà¥à¤¤ में लजà¥à¤œà¤¿à¤¤ नहीं होना पड़ता।
à¤à¤• आदमी सोना तोलने के लिठसà¥à¤¨à¤¾à¤° के पास तराजू मांगने आया। सà¥à¤¨à¤¾à¤° ने कहा, ‘‘मियाà¤, अपना रासà¥à¤¤à¤¾ लो। मेरे पास छलनी नहीं है।’’ उसने कहा, ‘‘मजाक न कर, à¤à¤¾à¤ˆ, मà¥à¤à¥‡ तराजू चाहिà¤à¥¤â€™â€™
सà¥à¤¨à¤¾à¤° ने कहा, ‘‘मेरी दà¥à¤•à¤¾à¤¨ में à¤à¤¾à¤¡à¥‚ नहीं हैं।’’ उसने कहा, ‘‘मसखरी को छोड़, मै तराजू मांगने आया हूà¤, वह दे दे और बहरा बन कर ऊटपटांग बातें न कर।’’
सà¥à¤¨à¤¾à¤° ने जवाब दिया, ‘‘हजरत, मैंने तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ बात सà¥à¤¨ ली थी, मैं बहरा नहीं हूà¤à¥¤ तà¥à¤® यह न समà¤à¥‹ कि मैं गोलमाल कर रहा हूà¤à¥¤ तà¥à¤® बूढ़े आदमी सà¥à¤–कर काà¤à¤Ÿà¤¾ हो रहे हो। सारा शरीर काà¤à¤ªà¤¤à¤¾ हैं। तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ सोना à¤à¥€ कà¥à¤› बà¥à¤°à¤¾à¤¦à¤¾ है और कà¥à¤› चूरा है। इसलिठतौलते समय तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ हाथ काà¤à¤ªà¥‡à¤—ा और सोना गिर पड़ेगा तो तà¥à¤® फिर आओगे कि à¤à¤¾à¤ˆ, जरा à¤à¤¾à¤¡à¤¼à¥‚ तो देना ताकि मैं सोना इकटà¥à¤ ा कर लूं और जब बà¥à¤¹à¤¾à¤° कर मिटà¥à¤Ÿà¥€ और सोना इकटà¥à¤ ा कर लोगे तो फिर कहोगे कि मà¥à¤à¥‡ छलनी चाहिà¤, ताकि ख़ाक को छानकर सोना अलग कर सको। हमारी दà¥à¤•à¤¾à¤¨ में छलनी कहां? मैंने पहले ही तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ काम के अनà¥à¤¤à¤¿à¤® परिणाम को देखकर दूरदरà¥à¤¶à¤¿à¤¤à¤¾ से कहा था कि तà¥à¤® कहीं दूसरी जगह से तराजू मांग लो।’’
जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ केवल काम के पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ को देखता है, वह अनà¥à¤§à¤¾ है। जो परिणाम को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में रखे, वह बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ है। जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ आगे होने वाली बात को पहले ही से सोच लेता है, उसे अनà¥à¤¤ में लजà¥à¤œà¤¿à¤¤ नहीं होना पड़ता।
Mon Apr 14 2008, 03:33 pm
दंà¤à¥€
à¤à¤• पढ़ा-लिखा दंà¤à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ नाव में सवार हà¥à¤†à¥¤ वह घमंड से à¤à¤°à¤•à¤° नाविक से पूछने लगा, ‘‘कà¥à¤¯à¤¾ तà¥à¤®à¤¨à¥‡ वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£ पढ़ा है, नाविक?’’
नाविक बोला, ‘‘नहीं।’’
दंà¤à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ने कहा, ‘‘अफसोस है कि तà¥à¤®à¤¨à¥‡ अपनी आधी उमà¥à¤° यों ही गà¤à¤µà¤¾ दी!’’
थोड़ी देर में उसने फिर नाविक से पूछा, “तà¥à¤®à¤¨à¥‡ इतिहास व à¤à¥‚गोल पढ़ा?â€
नाविक ने फिर सिर हिलाते हà¥à¤ ‘नहीं’ कहा।
दंà¤à¥€ ने कहा, “फिर तो तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ पूरा जीवन ही बेकार गया।“
मांà¤à¥€ को बड़ा कà¥à¤°à¥‹à¤§ आया। लेकिन उस समय वह कà¥à¤› नहीं बोला। दैवयोग से वायॠके पà¥à¤°à¤šà¤‚ड à¤à¥‹à¤‚कों ने नाव को à¤à¤‚वर में डाल दिया।
नाविक ने ऊंचे सà¥à¤µà¤° में उस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ से पूछा, ‘‘महाराज, आपको तैरना à¤à¥€ आता है कि नहीं?’’
सवारी ने कहा, ‘‘नहीं, मà¥à¤à¥‡ तैरना नही आता।’’
“फिर तो आपको अपने इतिहास, à¤à¥‚गोल को सहायता के लिठबà¥à¤²à¤¾à¤¨à¤¾ होगा वरना आपकी सारी उमà¥à¤° बरबाद होने वाली है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि नाव अब à¤à¤‚वर में डूबने वाली है।’’ यह कहकर नाविक नदी में कूद तैरता हà¥à¤† किनारे की ओर बढ़ गया।
मनà¥à¤·à¥à¤¯ को किसी à¤à¤• विदà¥à¤¯à¤¾ या कला में दकà¥à¤· हो जाने पर गरà¥à¤µ नहीं करना चाहिà¤à¥¤
à¤à¤• पढ़ा-लिखा दंà¤à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ नाव में सवार हà¥à¤†à¥¤ वह घमंड से à¤à¤°à¤•à¤° नाविक से पूछने लगा, ‘‘कà¥à¤¯à¤¾ तà¥à¤®à¤¨à¥‡ वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£ पढ़ा है, नाविक?’’
नाविक बोला, ‘‘नहीं।’’
दंà¤à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ने कहा, ‘‘अफसोस है कि तà¥à¤®à¤¨à¥‡ अपनी आधी उमà¥à¤° यों ही गà¤à¤µà¤¾ दी!’’
थोड़ी देर में उसने फिर नाविक से पूछा, “तà¥à¤®à¤¨à¥‡ इतिहास व à¤à¥‚गोल पढ़ा?â€
नाविक ने फिर सिर हिलाते हà¥à¤ ‘नहीं’ कहा।
दंà¤à¥€ ने कहा, “फिर तो तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ पूरा जीवन ही बेकार गया।“
मांà¤à¥€ को बड़ा कà¥à¤°à¥‹à¤§ आया। लेकिन उस समय वह कà¥à¤› नहीं बोला। दैवयोग से वायॠके पà¥à¤°à¤šà¤‚ड à¤à¥‹à¤‚कों ने नाव को à¤à¤‚वर में डाल दिया।
नाविक ने ऊंचे सà¥à¤µà¤° में उस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ से पूछा, ‘‘महाराज, आपको तैरना à¤à¥€ आता है कि नहीं?’’
सवारी ने कहा, ‘‘नहीं, मà¥à¤à¥‡ तैरना नही आता।’’
“फिर तो आपको अपने इतिहास, à¤à¥‚गोल को सहायता के लिठबà¥à¤²à¤¾à¤¨à¤¾ होगा वरना आपकी सारी उमà¥à¤° बरबाद होने वाली है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि नाव अब à¤à¤‚वर में डूबने वाली है।’’ यह कहकर नाविक नदी में कूद तैरता हà¥à¤† किनारे की ओर बढ़ गया।
मनà¥à¤·à¥à¤¯ को किसी à¤à¤• विदà¥à¤¯à¤¾ या कला में दकà¥à¤· हो जाने पर गरà¥à¤µ नहीं करना चाहिà¤à¥¤
Tue Apr 15 2008, 04:56 pm
बॉस अपनी सेकà¥à¤°à¥‡à¤Ÿà¤°à¥€ से- तà¥à¤® आज फिर आधे घंटे देर से आयी हो, कà¥à¤¯à¤¾ तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ मालूम नहीं कि यहां पर काम कितने बजे से शà¥à¤°à¥‚ होता है?
सेकà¥à¤°à¥‡à¤Ÿà¤°à¥€ बोली- मालूम नहीं सर, जब à¤à¥€ मैं यहां आती हूं तो लोगों को काम करते हà¥à¤ ही पाती हूं.
सेकà¥à¤°à¥‡à¤Ÿà¤°à¥€ बोली- मालूम नहीं सर, जब à¤à¥€ मैं यहां आती हूं तो लोगों को काम करते हà¥à¤ ही पाती हूं.
Thu Aug 07 2008, 12:48 am
चिंटू : यार मैंने आज पेपर खाली छोड़ दिया। मà¥à¤à¥‡ पेपर में कà¥à¤› नहीं आता था।
पिंटू : मैंने à¤à¥€à¥¤
पपà¥à¤ªà¥‚ : अरे मर गà¤à¥¤ मैंने à¤à¥€ पेपर खाली छोड़ दिया। अब टीचर समà¤à¥‡à¤‚गे कि हमने चीटिंग की है। हम सब फेल हो जाà¤à¤‚गे।
पिंटू : मैंने à¤à¥€à¥¤
पपà¥à¤ªà¥‚ : अरे मर गà¤à¥¤ मैंने à¤à¥€ पेपर खाली छोड़ दिया। अब टीचर समà¤à¥‡à¤‚गे कि हमने चीटिंग की है। हम सब फेल हो जाà¤à¤‚गे।
Thu Aug 07 2008, 12:51 am
केशव : मैडम आपकी अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ इतनी अचà¥à¤›à¥€ है , मैं आपसे à¤à¤• सवाल पूछूं ?
मैडम : पूछो।
केशव : समंदर में जो छोटी-छोटी लहरें उठती हैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में कà¥à¤¯à¤¾ कहते हैं ?
मैडम (काफी देर तक सोचने के बाद ): मà¥à¤à¥‡ नहीं पता।
केशव (हंसते हà¥à¤) : माइकà¥à¤°à¥‹à¤µà¥‡à¤µ !
मैडम : पूछो।
केशव : समंदर में जो छोटी-छोटी लहरें उठती हैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में कà¥à¤¯à¤¾ कहते हैं ?
मैडम (काफी देर तक सोचने के बाद ): मà¥à¤à¥‡ नहीं पता।
केशव (हंसते हà¥à¤) : माइकà¥à¤°à¥‹à¤µà¥‡à¤µ !
Powered by e107 Forum System